तुम ही हो ना
बिना झिझक सोचों के साये
गगन पार उङते जाते हैं
किसी साँवरी साँझ को जैसे
पे॒मी बहके ही जाते हैं
जीवन की राहों पर जब जब
चलते कहीं ठिठक जाती हूँ
और देखती हूँ मुङ मुङ के
पगडंडी पे बहक जाती हूँ
एक वावरा बांका झोंका
नरमी से सहला जाता है
नये मील का कोई पत्थर
कदमों से टकरा जाता है
कहीं खिली जूही की कलियाँ
रोम रोम महका जाती हैं
खो जाती हूँ अब भी अक्सर
यादें कुछ छलका जाती हैं
और कभी निश्चल बादल सी
दौङ रही हूँ जंगल पर्वत
कोई साथ साथ चलता है
नींद उनीदे करवट करवट
बेचैनी में राहत जैसा
कोई मुझे बहला जाता है
ओस की निर्मल बूंदें बनकर
सांसो को नहला जाता है
तुम ही हो अब तो कह दो ना
तन्हा एक अहसास रहो ना
गगन पार उङते जाते हैं
किसी साँवरी साँझ को जैसे
पे॒मी बहके ही जाते हैं
जीवन की राहों पर जब जब
चलते कहीं ठिठक जाती हूँ
और देखती हूँ मुङ मुङ के
पगडंडी पे बहक जाती हूँ
एक वावरा बांका झोंका
नरमी से सहला जाता है
नये मील का कोई पत्थर
कदमों से टकरा जाता है
कहीं खिली जूही की कलियाँ
रोम रोम महका जाती हैं
खो जाती हूँ अब भी अक्सर
यादें कुछ छलका जाती हैं
और कभी निश्चल बादल सी
दौङ रही हूँ जंगल पर्वत
कोई साथ साथ चलता है
नींद उनीदे करवट करवट
बेचैनी में राहत जैसा
कोई मुझे बहला जाता है
ओस की निर्मल बूंदें बनकर
सांसो को नहला जाता है
तुम ही हो अब तो कह दो ना
तन्हा एक अहसास रहो ना