उनके भी पंख होते
१
दायरों में बंधकर
मूरत जो बन गये हैं
मानिन्द तितलियों के
उनके भी पंख होते
२
चरमराते दरवाजे
हौले से टोकते हैं
खोये हैं जो भीङों में
सपनों में नहीं खोते
3.
माथे पे झूमर संवरा
लहरा तुम्हारा आँचल
ममुस्काओ खुश्बुओं सी
यूँ फूल नहीं रोते
४
जिन्दगी का परदा
खुल जायेगा दोबारा
अभिनय कई हैं करने
हैं पात्र छोटे मोटे
५
इन खोखली दीवारों
के कान रिस रहे हैं
सुनकर ये दिल के किस्से
खामोश यूँ न सोते
दायरों में बंधकर
मूरत जो बन गये हैं
मानिन्द तितलियों के
उनके भी पंख होते
२
चरमराते दरवाजे
हौले से टोकते हैं
खोये हैं जो भीङों में
सपनों में नहीं खोते
3.
माथे पे झूमर संवरा
लहरा तुम्हारा आँचल
ममुस्काओ खुश्बुओं सी
यूँ फूल नहीं रोते
४
जिन्दगी का परदा
खुल जायेगा दोबारा
अभिनय कई हैं करने
हैं पात्र छोटे मोटे
५
इन खोखली दीवारों
के कान रिस रहे हैं
सुनकर ये दिल के किस्से
खामोश यूँ न सोते
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