Tuesday, April 04, 2006

आज गगन ज्यादा सुन्दर है

आज गगन ज्यादा सुन्दर है

आज गगन ज्यादा सुन्दर है
इन्द॒धनुषी है विस्तार
प॒तिबिम्ब तुम्हारा पि॒यवर
आँखो में कज्ञरे की धार

बादल उमङ उमङ गरजे हैं
मेरी पायल की झन्कार
प॒तिध्वनी तेरी सांसों की
धङकते दिल में जैसे प्यार

महकती है मेरी मेहंदी
रंगों के लेकर उपहार
तेरे गीतों का मौसम है
होंठों पर ठहरा इज्ञहार

उमर मांगता दीवानापन
जीवन का हो मधुर शिंगार
आस की मंजिल चला ढूंढने
मस्त घटाओं के उस पार

आज गगन ज्यादा सुन्दर है
इन्द॒धनुषी है विस्तार

उनके भी पंख होते


दायरों में बंधकर
मूरत जो बन गये हैं
मानिन्द तितलियों के
उनके भी पंख होते


चरमराते दरवाजे
हौले से टोकते हैं
खोये हैं जो भीङों में
सपनों में नहीं खोते

3.
माथे पे झूमर संवरा
लहरा तुम्हारा आँचल
ममुस्काओ खुश्बुओं सी
यूँ फूल नहीं रोते


जिन्दगी का परदा
खुल जायेगा दोबारा
अभिनय कई हैं करने
हैं पात्र छोटे मोटे


इन खोखली दीवारों
के कान रिस रहे हैं
सुनकर ये दिल के किस्से
खामोश यूँ न सोते